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13 Jun, 2025 by Acharya Sanjay Patel
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📖 भागवत कथा 7 दिन की क्यों होती है? – एक आध्यात्मिक रहस्य
"श्रीमद्भागवत महापुराण" को वैदिक साहित्य का सबसे पवित्र और मोक्षदायक ग्रंथ माना गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं, भक्ति का महत्व और धर्म का गूढ़ सार समाहित है। अक्सर आपने देखा होगा कि भागवत कथा सात दिनों (सप्ताह) में होती है। आइए समझते हैं, क्यों सिर्फ 7 दिन?
"सप्त" का अर्थ होता है – सात।
भारतीय संस्कृति में सात का विशेष महत्व है:
सात लोक (भूर्लोक से सत्यलोक)
सात ऋषि
सप्तधातु
सप्त समुद्र
सप्ताह के सात दिन
➡️ यह संख्या ब्रह्मांडीय संतुलन को दर्शाती है। इसलिए सात दिन तक कथा का श्रवण एक पूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है।
भागवत कथा 7 दिन में सुनने की परंपरा श्रीमद्भागवत के मूल कथानक से आती है।
राजा परीक्षित को शापवश 7 दिन का जीवन शेष था। उन्होंने सबकुछ त्याग कर श्री शुकदेव जी से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया।
सातवें दिन उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। ➡️ इसी कथा को आधार बनाकर आज भी भागवत सप्ताह किया जाता है।
प्रत्येक दिन व्यक्ति की एक चेतना (चक्र) को जगाने का कार्य करता है:
पहले दिन – जिज्ञासा उत्पन्न होती है
दूसरे दिन – विश्वास बनता है
तीसरे दिन – समर्पण आता है
चौथे दिन – अहंकार का क्षय
पाँचवे दिन – आत्मा का बोध
छठे दिन – प्रभु के स्वरूप का दर्शन
सातवें दिन – मोक्ष का बोध
➡️ यह सात दिवसीय क्रम आत्मिक जागरण की पूर्ण प्रक्रिया है।
आज के युग में मनुष्य के पास समय की कमी है। अतः सात दिन की संक्षिप्त कथा में ही पूरा आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और मोक्ष का मार्ग समाहित कर दिया गया है।
सप्ताह कथा से:
जन्म-मरण का चक्र समझ आता है
कर्मों का रहस्य खुलता है
आत्मा और परमात्मा का संबंध स्पष्ट होता है
भक्ति का वास्तविक मार्ग प्राप्त होता है
भागवत सप्ताह कथा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन को समझने और मोक्ष की ओर अग्रसर होने की एक आध्यात्मिक यात्रा है।
📿 "एक सप्ताह – सात दिन – और जीवन का सार!"
🙏 जय श्रीकृष्ण!