Sign in to your account
10 Jun, 2025 by Acharya Sanjay Patel
Need Guidance On Your Problems?
Consult With The Best Online Astrologers
Talk To Astrologer
Chat With Astrologer Connect with the best Indian Astrologers via Live chat for all your life’s problems
वट सावित्री व्रत एक ऐसा पवित्र पर्व है जो पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सुहागिन स्त्रियों द्वारा श्रद्धा भाव से किया जाता है। इस व्रत की कथा सावित्री और सत्यवान की प्रेम, तप, और दृढ़ संकल्प की अद्भुत कहानी पर आधारित है।
प्राचीन काल में राजा अश्वपति की पुत्री थी सावित्री, जो अत्यंत रूपवती, बुद्धिमान और धर्मपरायण थी। उसने स्वयंवर में सत्यवान नामक वनवासी राजकुमार को अपने पति के रूप में चुना।
जब सावित्री ने सत्यवान से विवाह करने का निर्णय लिया, तो नारद मुनि ने चेतावनी दी कि सत्यवान की आयु बहुत कम है – वह केवल एक वर्ष ही जीवित रहेगा। परंतु सावित्री ने अपने निश्चय को नहीं बदला। वह अपने पति के साथ वन में चली गई और एक आदर्श पत्नी के रूप में सेवा करने लगी।
सावित्री को जब यह ज्ञात हुआ कि सत्यवान की मृत्यु का दिन समीप है, तो उसने तीन दिन पूर्व से उपवास शुरू कर दिया। वह दिन-रात ईश्वर की आराधना और पति के कल्याण के लिए व्रत करने लगी।
जैसे ही वह दिन आया, सत्यवान जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था, और वहीं उसकी मृत्यु हो गई। यमराज उसकी आत्मा को लेकर जाने लगे, तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी।
यमराज ने उसे कई बार समझाया कि यह उनका कार्य है, लेकिन सावित्री का धैर्य, भक्ति और धर्म के तर्कों ने यमराज को प्रभावित किया। अंत में, यमराज ने प्रसन्न होकर सावित्री से वरदान मांगने को कहा।
सावित्री ने पहले ससुर के नेत्र लौटाने, फिर उनके राज्य की समृद्धि, और तीसरे वरदान में सत्यवान से संतान प्राप्ति की मांग की।
यह सुनते ही यमराज को अपनी भूल का एहसास हुआ – संतान तो जीवित सत्यवान से ही हो सकती थी! और इस प्रकार उन्होंने सत्यवान को पुनर्जीवन दे दिया।
सावित्री ने यह तपस्या वट (बड़) के वृक्ष के नीचे की थी, इसलिए यह व्रत "वट सावित्री व्रत" कहलाया।
वट वृक्ष को दीर्घायु, स्थिरता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन स्त्रियां वट वृक्ष की पूजा कर, सूत (धागा) लपेटकर परिक्रमा करती हैं।
यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची नारी शक्ति, धर्म, भक्ति और संकल्प से मृत्यु जैसे संकट को भी टाला जा सकता है।
सावित्री एक प्रतीक हैं समर्पण, प्रेम और शक्ति की।
यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष फलदायी माना गया है।
यह व्रत सौभाग्यवती रहने की कामना को पूर्ण करता है।
पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत से यमराज भी हार मान गए थे।
✨ राशिफल और ज्योतिष अनुसार व्रत की सलाह:
यदि आपकी कुंडली में पति-पत्नी संबंध में बाधा, विवाह में विलंब या संतान सुख की कमी है, तो वट सावित्री व्रत विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है।
राशिगत उपाय और व्यक्तिगत पूजा विधि जानने के लिए Rashiguru Astrology से संपर्क करें।
वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली और आदर्श स्त्रीत्व की प्रेरणा है।
हर स्त्री सावित्री बन सकती है — जब उसके भीतर आस्था, प्रेम और तप की शक्ति हो।